बीवी नेअमत (उपहार), बेटी रहमत (कृपा) और
मां जन्नत (स्वर्ग) के समान है - पद्म श्री वासे
अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस की पूर्व संध्या पर
‘भारतीय इतिहास में महिलाओं का योगदान‘ विषयक संगोष्ठी का हुआ आयोजन
जोधपुर 07 मार्च 2020। आज यहां मौलना आज़ाद यूनिवर्सिटी में अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस की पूर्व संध्या पर ‘भारतीय इतिहास में महिलाओं का योगदान‘ विषयक एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष (वीसी) पद्म श्री अख्तरूल वासे ने की।
मुख्य वक्ता के तौर पर प्रोफेसर वासे ने कहा कि हिन्दुस्तान में आदीकाल से महिलाओ की पूजा होती है लेकिन उनकी पूजा उस समय तक ही होती है जब तक वो बेजान और बेजुबान पत्थर की मूरत की शक्ल में मन्दिर तक ही सीमित रहती है। अन्यथा सभी धर्मो के पुरूष महिलाओं को केवल शरीर मात्र ही समझते है।
उन्होंने कहा कि बीवी नेअमत (उपहार), बेटी रहमत (कृपा) और मां जन्नत (स्वर्ग) के समान है। महिलाओ ंने जिन्दगी के हर मैदान में अविस्मरणीय सेवा कार्य किये हैं जिसे हम किसी कभी भी भुला नहीं सकते है।
संगोष्ठी में यूनिवर्सिटी के साइन्स फैकल्टी से जुड़ी असिस्टेंट प्रोफेसर फराह नाज ने छात्र-छात्राओं के समक्ष दुनिया की उत्पत्ति के समय से वर्तमान समय की महिलाओं और उनके महान कार्यो पर एक शानदार पॉवरपोईन्ट प्रेजेन्टेषन पेश किया। जिसमें विभिन्न क्षेत्रों व वर्गो से जुड़ी देश व दुनिया की महान महिलाओं के कीर्तिमान को दर्शाया गया।
प्रोग्राम की समन्वयक एवं हिन्दी कहानीकार डॉ रेहना बेगम ने कहा कि औरतों के अभाव में इस संसार की कल्पना भी नहीं की जा सकती है और घर से बाहर निकलकर महिलाओं पर छींटाकशी करने वालों को यह अवश्य सोचना चाहिए कि उनके घर में भी मां, बीवी, बहन और बेटी मौजूद है अतः हर समय औरतों को सम्मान की दृष्टि से देखना चाहिए।