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डीआईजी फिरोज़ खान साहब का 89वां यौम-ए-पैदाइश सादगी से मनाया गया

January 13, 2025

जोधपुर , 04 जनवरी 2025 : फिरोज़ खान मेमोरियल गर्ल्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल में आज डीआईजी फिरोज़ खान साहब का 89वां यौम-ए-पैदाइश सादगी और श्रद्धा के साथ मनाया गया। इस अवसर पर स्कूल की छात्राओं के साथ-साथ डीआईजी फिरोज़ खान साहब के परिवार से उनके पोते वसीम मेहर, मारवाड़ मुस्लिम एजुकेशनल एंड वेलफेयर सोसायटी के अध्यक्ष जनाब अज़ीज़ साहब, सोसायटी सदस्य रऊफ अंसारी एवं अब्बास पठान ने भाग लिया।

फिरोज़ खान साहब के जीवन से मिली प्रेरणा

कार्यक्रम की शुरुआत में वसीम मेहर ने अपने संबोधन में फिरोज़ साहब के जीवन और मूल्यों पर प्रकाश डालते हुए माता-पिता की फरमाबरदारी की अहमियत पर जोर दिया। उन्होंने छात्राओं को फिरोज़ साहब के दिखाए रास्ते पर चलने और शिक्षा को प्राथमिकता देने की सीख दी।

अब्बास पठान ने फिरोज़ साहब द्वारा महिला शिक्षा के प्रति किए गए प्रयासों और समाज हित में किए गए उनके उल्लेखनीय कार्यों पर विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि फिरोज़ साहब का सपना था कि हर लड़की शिक्षित होकर आत्मनिर्भर बने, और उनकी यही सोच आज इस स्कूल के माध्यम से साकार हो रही है।

महिला शिक्षा के लिए फिरोज़ साहब की चिंता

सोसायटी के अध्यक्ष जनाब अज़ीज़ साहब ने फिरोज़ साहब से जुड़ी यादों को साझा करते हुए कहा कि वे महिला शिक्षा को लेकर बेहद चिंतित रहते थे और हमेशा चाहते थे कि बेटियां शिक्षित होकर अपने माता-पिता और समाज का नाम रोशन करें। उन्होंने छात्राओं को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि फिरोज़ साहब को सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि स्कूल की छात्राएं कड़ी मेहनत कर मेरिट लाएं और अपने उज्ज्वल भविष्य का निर्माण करें।

फिरोज़ साहब के योगदान को किया याद

इस अवसर पर स्कूल के प्रधानाचार्य शहाबुद्दीन मेहर ने डीआईजी फिरोज़ खान साहब के जीवन और उनके समाज सेवा के योगदान के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि फिरोज़ साहब एक महान व्यक्तित्व थे, जिन्होंने समाज के उत्थान के लिए अपना जीवन समर्पित किया

श्रद्धांजलि और दुआएं

कार्यक्रम के अंत में सभी उपस्थितजनों ने डीआईजी फिरोज़ खान साहब की मग़फिरत (शांति) के लिए दुआ की और उनके उच्च दर्जे के लिए प्रार्थना की। इस अवसर पर छात्राओं के बीच फल वितरित किए गए, जिससे बच्चों में सेवा और सद्भावना की भावना जागृत हुई।

यह आयोजन फिरोज़ साहब के विचारों और शिक्षाओं को याद करने का एक प्रेरणादायक अवसर बना, जिससे छात्राओं को उनके द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलने की सीख मिली।